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लखनऊ-रायबरेली-प्रयागराज हाईवे मामले पर हाईकोर्ट सख्त


लखनऊ, सोशल टाइम्स। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने लखनऊ-रायबरेली-प्रयागराज फोरलेन हाईवे बनाने के मामले में रायबरेली, प्रतापगढ़ व प्रयागराज के जिलाधिकारियों, संबंधित डिविजनल फॉरेस्ट अफसर समेत पूर्वी उत्तर प्रदेश के एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी को 31 अगस्त को तलब किया है। साथ ही सख्त आदेश दिया कि प्रोजेक्ट 31मार्च 2022 तक पूरा होकर चालू हो जाना चाहिए।


न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश लखनऊ- रायबरेली-प्रयागराज हाईवे बनाने के मामले में वर्ष 2013 से चल रही जनहित याचिका पर दिया। कोर्ट ने उस समय मामले का स्वयं संज्ञान लेकर यह पीआईएल कायम कराई थी। पहले कोर्ट ने मामले में कई आदेश दिए थे तब कहीं जाकर लखनऊ से रायबरेली तक सड़क का काम हुआ। अभी रायबरेली से प्रयागराज तक फोरलेन सड़क का काम पूरा नहीं हुआ है।



रायबरेली से प्रयागराज मय डिवाइडर फोरलेन सड़क निर्माण प्रकरण में अदालत के आदेश पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी विपिनेश शर्मा कोर्ट में पेश हुए। उन्होने कोर्ट को बताया कि प्रोजेक्ट की विस्तृत रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की गई है। इसके लिए रायबरेली, प्रतापगढ़ व प्रयागराज जिलों की कुछ जमीन अधिग्रहीत की जानी है जिसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। जमीन का मुआवजा (अवार्ड) इन तीनों जिलों के डीएम को देना है। इसके बाद जमीन एनएचएआई को मिल सकेगी और काम शुरु हो सकेगा। इस पर कोर्ट ने प्रोजेक्ट में देरी न हो इसके मद्देनजर तीनों डीएम समेत संबंधित अफसरों को सहयोग के लिए अगली सुनवाई पर 31अगस्त को तलब किया है।


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