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सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम में कार्यरत पार्थ श्रीवास्तव ने की आत्महत्या, लगाए गंभीर आरोप


पार्थ श्रीवास्तव

लखनऊ। सीएम योगी की सोशल मीडिया टीम में कार्यरत पार्थ श्रीवास्तव (28) ने बुधवार सुबह फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिवार वाले लोहिया अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। परिजनों ने बताया कि पार्थ ने एक सुसाइड नोट लिखा है। जिसमें उसने अपने कुछ वरिष्ठ कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। हालांकि पुलिस ने इस सुसाइड नोट के मिलने से इनकार किया है।


इंदिरानगर सेक्टर-9 के वैशाली एन्क्लेव में रहने वाले रवींद्र नाथ श्रीवास्तव के बेटे पार्थ ने बुधवार को अपने घर में फांसी लगा ली। उसका शव कमरे में लटका देख पिता ने नीचे उतारा और लोहिया अस्पताल में लेकर गए वहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। रवींद्र ने इसकी जानकारी इंदिरानगर पुलिस को दी। प्रभारी निरीक्षक अजय प्रकाश त्रिपाठी के मुताबिक, शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। पिता की तहरीर पर कार्रवाई की जा रही है।


मेरी आत्महत्या एक कत्ल है....


पार्थ श्रीवास्तव ने खुदकुशी करने से पहले सुसाइड नोट लिखा था। वहीं अपने ट्वीटर हैंडल पर मेसेज भी वायरल किया, जिसमें वरिष्ठ कर्मचारियों पर आरोप लगाया गया। जिस वरिष्ठ कर्मचारी पर आरोप लगाया है वह एजेंसी बेसिल के लिए संविदा पर काम करता है। इसी कंपनी में संविदा पर पार्थ भी काम करता था। उसकी मौत की सूचना मिलने के बाद उस मेसेज को डिलीट कर दिया गया। सुसाइड नोट में पार्थ ने लिखा कि उसके वरिष्ठ पुष्पेंद्र सिंह ने उसे रात के 12.40 बजे कॉल किया। यह कॉल सामान्य नहीं थी। व्हाट्सएप कॉल के जरिए उन्होंने बात की जिसमें उन्होंने प्रताड़ना का दोष संतोष पर डाला। इसका यकीन दिलाया कि वह मेरे शुभचिंतक ही रहे हैं। जबकि सत्य तो यह है कि वह सिर्फ और सिर्फ एक महिला कर्मचारी के शुभचिंतक हैं। पुष्पेंद्र को महिला कर्मचारी के अलावा किसी की चिंता नहीं रही है। बाकी लोगों पर छोटी सी छोटी गलती पर नाराज होते रहे। अभय भैया व महेंद्र भैया से सिर्फ उनका गुणगान करते रहे हैं। मुझे आश्चर्य प्रणव भैया पर होता है कि वह यह सब देखने समझने के बावजूद पुष्पेंद्र भैया का साथ कैसे व क्यों देते हैं। मैंने जब काम शुरू किया तबसे सबसे अधिक इज्जत प्रणय भैया को ही दी। मैंने उनसे सीखा कि सिर्फ काम बोलता है और इंसान को उसका काम ही उसकी पहचान बनाता है। एक तरफ पुष्पेंद्र भैया मिले जो सिर्फ दूसरों की कमियां निकालते दिखे। दूसरी तरफ प्रणय भैया दिखे जो अपने कार्य से अपना नाम बनाते दिखे। मैने प्रणय भैया को अपना आदर्श माना और सिर्फ काम से अपना नाम बनाना चाहा। मुझसे गलतियां भी हुईं पर ये गलतियां न दोहराने की पूरी कोशिश की। परंतु शैलजा सिर्फ चाटुकारिता कर अपनी जगह पर थी। शैलजा जी को बहुत बहुत बधाई।


मेरी आत्महत्या एक कत्ल है जिसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ राजनीति करने वाली शैलजा व उनका साथ देने वाले पुष्पेंद्र सिंह हैं।

अभय व महेंद्र भैया को इस बात का हल्का सा ज्ञान भी नहीं कि लखनऊ वाले कार्यालय में चल क्या रहा था। मैं आज भी मरते दम तक महेंद्र और अभय भैया को अपने माता-पिता जितनी ही इज्जत करता हूं।


वहीं पार्थ ने एक लाइन और लिखी है जिसमें सूचना विभाग के एक बड़े अधिकारी के नाम का जिक्र किया है। कहा कि उम्मीद करता हूं कि वह इस मामले में उचित कार्रवाई जरूर करेंगे। हालांकि प्रभारी निरीक्षक अजय प्रकाश त्रिपाठी ने सुसाइड नोट के मिलने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अगर परिवारीजन किसी पर आरोप लगाते हुए तहरीर और सुसाइड नोट देते हैं तो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।



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