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कोरोना प्रभावितों के लिए टीके की अनिवार्यता नहीं होने की पीआईएल दायर

लखनऊ, सोशल टाइम्स। बुधवार को कोरोना की एंटीबॉडी विकसित कर चुके लोगों के लिए कोविड टीका जरूरी न होने के संबंध में केंद्र सरकार की तरफ से स्थिति स्पष्ट करने के आग्रह वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर की गई है।
याचीगण की अधिवक्ता डॉ. नूतन ठाकुर के मुताबिक विभिन्न शोध तथा टेस्ट से यह सामने आया है कि कोविड टीका लगवाने वाले सभी लोगों में अनिवार्य रूप से कोविड एंटीबॉडी विकसित नहीं होती है। इसके विपरीत कई व्यक्तियों में कोरोना प्रभावित होने के साल भर बाद तक इसके एंटीबॉडी मौजूद पाए गए हैं।
याचिका में कहा गया है कि कोविड टीका का उद्देश्य कोविड एंटीबॉडी विकसित करना है। लिहाजा जिन व्यक्तियों में पहले से ये एंटीबॉडी विकसित हो गए हैं उन्हें वर्तमान में कोविड टीका दिए जाने का कोई औचित्य नहीं दिखता है क्योंकि अभी यह टीका अपने प्राथमिक स्टेज में है तथा इसके अंतिम स्वरूप में विकसित होने में समय है। इसी बीच कई निजी तथा सरकारी संगठनों ने विभिन्न योजनाओं एवं क्रियाकलापों में कोविड टीकाकरण को अनिवार्य कर दिया है जो उचित नहीं है।
याचियों का कहना है कि इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार को कई प्रत्यावेदन भेजे गए किंतु कोई कार्रवाई न होने पर यह याचिका दायर की है। इसमें कोरोना की एंटीबॉडी विकसित कर चुके लोगों के लिए कोविड टीका आवश्यक नहीं होने की गुजारिश की गई है।