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  • Writer's pictureसंवाददाता

20 साल बाद खुला राजेश सूरी हत्याकांड का 'सील लगा लिफाफा'


लखनऊ, सोशल टाइम्स। अधिवक्ता राजेश सूरी का लिखा बंद लिफाफा बुधवार को 20 साल बाद समिति के सामने खोला गया। इस लिफाफे पर उन्होंने ऊपर हाथ से लिखा हुआ है। हालांकि, भीतर पत्र में क्या है इसकी जानकारी समिति में शामिल राजेश सूरी की बहन को भी नहीं दी गई है। बताया जा रहा है कि एसआईटी की जांच के दौरान ही तथ्य उजागर हो सकते हैं।


मामला ऐसा है कि राजेश सूरी ने मौत से 20 साल पहले 2002 में जज क्वार्टर घोटाले की जांच के दौरान एडीएम वित्त को एक बंद लिफाफा दिया था। इसके बारे में राजेश ने कहा था कि यदि भविष्य में उनकी मौत होती है तो इस लिफाफे को खोलकर देख लिया जाए। नवंबर 2014 में राजेश की मौत हो गई और पांच दिसंबर को कोतवाली में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ। बावजूद इसके पुलिस की जांच इस लिफाफे तक नहीं पहुंची।


वहीं इस मामले में राजेश की बहन रीता सूरी ने बताया कि इस लिफाफे के बारे में राजेश ने उनसे भी जिक्र किया था। राजेश ने कहा था कि इसमें कई ऐसे लोगों के नाम हैं जो उनकी हत्या करा सकते हैं।


गत 10 जनवरी को जिलाधिकारी से इस लिफाफे को खुलवाने का आग्रह किया गया था।


जिलाधिकारी डॉ. आर राजेश कुमार ने सोमवार को एसडीएम वित्त केके मिश्रा, एसपी क्राइम भड़ाने, जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी और रीता सूरी (मुकदमे की वादी) को शामिल करते हुए समिति का गठन किया। बुधवार सुबह इस समिति के सामने इस लिफाफे की सील खोली गई। बताया जा रहा है कि इस लिफाफे के ऊपर तो राजेश सूरी ने हाथ से लिखा है। अंदर ,कंप्यूटर टाइपिंग या टाइपराइटर से इस बारे में जानकारी नहीं मिली है। रीता सूरी ने भी इस लिफाफे में रखे पत्र को पढ़ना चाहा, लेकिन जांच का हवाला देते हुए उन्हें यह लिफाफा नहीं दिखाया गया।



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