
ब्यूरो
अग्निपथ की बात, युवाओं से विश्वासघात: अजय माकन

लखनऊ। पूर्व केन्द्रीय मंत्री व राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि हम अग्निवीर योजना को तुरंत प्रभाव से वापस लेने की मांग करते हैं। प्रधानमंत्री युवाओं की बात क्यों नहीं सुन रहे हैं? वह चुप क्यों है? हम उनसे उनके अहंकार को त्यागने का निवेदन करते हैं। उनके इसी अहंकार ने किसान आंदोलन के दौरान 700 किसानों की जान ली थी। देश हित में, हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा और युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए इस इतिहास को दोहराया नहीं जाना चाहिए और प्रधानमंत्री द्वारा अपनी गलती मानते हुए इस युवा और राष्ट्रविरोधी योजना को वापस लिया जाए।
माकन ने कहा कि यह तुगलकी सरकार पहले फैसला करती है, और बाद में सोचती है। अग्निपथ योजना के मामले में भी अनेक बदलाव आ चुके हैं, लेकिन भारत के युवा इसे वापिस लेने की मांग कर रहे हैं। आज देश को बचाने की जरूरत है, परंतु यह सरकार पैसे बचाने में लगी है। युवा, पूर्व सैनिक तथा रक्षा विशेषज्ञ, सभी हितधारकों ने मोदी सरकार की इस अग्निपथ योजना को नकार कर दिया है। अनेक सेवारत अधिकारियों ने निजी तौर पर इस संबंध में अपनी चिंता व्यक्त की है। हम सेना के विरुद्ध एक शब्द भी नहीं कहते। हम अपने सशस्त्र बलों के कल्याण और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति चिंतित हैं।
राष्ट्रीय महासचिव अजय माकन ने कहा कि अग्निपथ योजना अभी तक भाजपा सरकार द्वारा बनाई गई एक और नई गलत योजना है, जो मौजूदा समस्याओं का समाधान किए बिना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए नई समस्याएं पैदा करेगी। अग्निवीरों के लिए प्रशिक्षण की अल्प अवधि (6 मीहीने) का हमारे सशस्त्र बलों की गुणवत्ता, दक्षता और प्रभावशीलता पर नकारात्मक असर पड़ेगा। व्यवहार और वेतन/लाभ के दो पैमाने निष्पक्षता के सभी मानदंडों का उल्लंघन है। यह भेदभाव सशस्त्र बलों और उनमें अनुशासन के लिए कई अप्रत्याशित और गंभीर समस्याएं पैदा करेगा।
माकन ने कहा कि यह सरकार जवानों को केवल चार साल के बाद रिटायर करके, जनरल बिपिन रावत, सीडीएस का भी अपमान कर रही है। उन्होंने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘सेना में सैनिक 17 साल के बाद काम करके रिटायर हो जाते हैं, तो उनको रिटायरमेन्ट की एज बढ़ानी चाहिए। ‘हम सैनिकांे को भर्ती करते हैं और उन्हें शुरू के वर्षों में सियाचिन ,द्रास गुरेज़ जैसे स्थानों पर घर से दूर कठिन स्थानों पर भेजते हैं, और उन्हंे यंग एज में ही रिटायर कर देते हैं, जिन्हें बहुत थोड़ी सी 18000 रु के लगभग पेंशन दा जाती है, फिर वो दूसरी नौकरा ढूंढते हैं । मैं चाहता हूँ वे लोग पूरा नौकरी करें । उन्होंने एक सकुर्लर भी निकाला था। इस प्रकार अग्निपथ स्कीम उनकी सोच और इच्छा का सीधा अपमान है।
माकन ने पत्रकारों से दावा किया कि सच्चाई यह है यह सरकार का सरासर झूठ है, दरअसल रोजगार के अवसर कम हुए है। अब तक हर साल सेना में 50 से 80 हजार सीधे पक्की भर्तियां होती थीं। अग्निपथ में उन्हें खत्म कर दिया गया है। अब आगे से सेना में डायरेक्ट पक्की भर्ती नहीं होगी। पिछले दो साल में जो भर्तियां अधूरा थीं उन्हें भी रद्द कर दिया गया है। उसके बदले हर साल 45 से 50 हजार कॉन्ट्रैक्ट की भर्तियां होंगी। उनमे से एक चौथाई यानी लगभग 12 हजार जवानो को हर साल पक्की नौकरा मिलेगी। अगर यह योजना 15 साल तक चला तो भारतीय सेना में कुल सैनिकों की संख्या 14 लाख से घटकर 6 लाख से भी कम रह जाएगी। आप खुद देख लो, रोजगार बढ़ेगा या घटेगा?
इस योजना के माध्यम से देश के युवाओं के साथ बहुत बड़ा धोखा किया जा रहा है और उनके भविष्य से बहुत बड़ा खिलवाड़ हो रहा है। अिग्नपथ य़ोजना के कारण 50,000 के आस-पास हमारे युवक, जिन्होंन भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया था, जो दौड़ में पास हो गए थे, जो मैडिकल में भी पास हो गए थे और केवल लिखित परीक्षा बाकी थी मैरिट बनने के लिए, उन 50,000 के लगभग युवाओं के साथ धोखा हुआ है और उनकी पूरा भर्ती प्रक्रिया रद्द किए जाने के समाचार छप चुके हैं और उन युवाओं को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया में भाग लेना पड़ेगा।
उन्होंने पत्रकारों को स्पष्ट किया कि सच्चाई यह है कि कॉन्ट्रैक्ट की नौकरी पर 17 से 21 साल के जवानों को रखने से औसत आयु तो कम हो जाएगी, क्या वास्तव में इसकी जरूरत थी? अगर 30 साल का फौजी लड़ने लायक नहां बचता तो तो 30 से अधिक उम्र के इतने सैनिकों को बहादुरी के लिए परमवीर चक्र कैसे मिला? जवानों को चार साल की कच्ची नौकरा पर रखने और उसके बाद एक चौथाई को निकाल देने से सेना का मनोबल मजबूत कैसे होगा? तकनीकी रूप से सक्षम होने के लिए लम्बी ट्रेनिगं के जरूरत होगी। दसवीं पास जवान को सिर्फ चार साल के लिए भर्ती करने से तकनीकी क्षमता कैसे बढ़ेगी?
दावा 3- इस योजना में भर्ती होने वाले अग्निवीरों को बहुत फायदे होंगे -- वेतन मिलेगा, बचत होगी, रोजगार प्रशिक्षण मिलेगा और स्थायी नौकरी के मौके मिलेंगे।
सच्चाई - चार साल की किसी भी नौकरा से कुछ न कुछ फायदा तो होगा ही। सवाल यह है कि क्या पक्की नौकरा में जो बचत थी, जो ट्रेनिंग मिलती उससे बेहतर चार साल की कच्ची नौकरी से मिलेगी? चार साल बाद पक्की सरकारी या प्राइवेट नौकरा की सब बातें झांसा है। सच यह है कि सरकार 15-20 साल की नौकरी करने वाले पूर्व सैनिकों को भी नौकरी नहीं दे पायी है। कुल 5,69,404 पूर्व सैनिकों ने नौकरी के लिए पंजीकरण कराया था, जिसमें से मात्र 14,155 पूर्व सैनिकों (यानी मात्र 2.5 प्रतिशत) को सरकारी, अर्ध सरकारी, निजी क्षेत्र में रोजगार मिल पाया। ऐसे में अग्निवीर को नौकरी दिलवाने की बात सिर्फ जुमला है।
माकन ने कहा कि सच्चाई यह है कि अग्निपथ में ‘‘आल इंडिया आल क्लास’’ आधार पर नियुिक्त करने से सेना में सभी इलाके के युवाओं को मौका तो मिलेगा, लेकिन इससे रेिजमेन्ट का सामािजक चरित्र बिगड़ जायेगा। ‘‘नाम, नमक, निशान’’ के लिए प्राण न्यौछावर करने की भावना कमजोर होगी। मोदा सरकार ही ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर यह यह तर्क दिया कि समुदाय आधारित भर्ती को समाप्त करने से रेिजमेन्ट के चरित्र और लड़ाई के जज्बे को नुकसान होगा। सशस्त्र बलों की भर्ती में सभी क्षेत्रों और समुदायों को प्रतिनिधित्व देना एक अपरिहार्य राष्ट्रहित है और प्रत्येक राज्य और क्षेत्र की भर्ती योग्य पुरुष आबादी के अनुसार भर्ती करके यह सुनिश्चित किया जाता रहा है। ऑनलाइन आवेदनों की प्रणाली यह कैसे सुनिश्चित करेगी?
इसको स्पष्ट करते हुए माकन ने कहा कि सरकार के समर्थक इजराइल जैसे जिन देशों का उदाहरण देते हैं वहां सैन्य भर्ती अनिवार्य है, नहीं तो उन्हें सेना में भर्ती के लिए युवा नहीं मिलते। अनिवार्य सेवा दो चार साल से ज्यादा नहां करवाई जा सकती। भारत में देशप्रेम और बेरोजगारी इतनी अधिक है कि यहां सेना में भर्ती होने के लिए लाखों युवा हमेशा खड़े हैं। वैसे भी इन देशों में अल्पकालिक भर्ती के अलावा डायरेक्ट पक्की भर्ती भी होती है,अग्निपथ योजना में इसे बंद किया जा रहा है। यह बात हमारे शार्ट सर्विस कमीशन पर भी लागू होती है। जब सेना को अफसरों की भर्ती में पर्याप्त अच्छे उम्मीदवार नहीं मिल रहे थे, उसकी कमी को पूरा करने के लिए यह योजना लायी गयी थे। उस योजना के कारण सेना में अफसरों की डायरेक्ट और पक्की भर्ती रोकी नहीं गई है।
थल सेना, नौसेना और वायु सेना के प्रमुख इस योजना का समर्थन कर रहे हैं। मोदी सरकार के इस दावे की सच्चाई को उजागर करते हुए माकन ने कहा कि हम सशस्त्र बलों का सम्मान करते हैं और सेवारत अधिकारियों की बाध्यताओं को भी समझते हैं। उनके पास और रास्ता हा क्या है? लेकिन हम अपने सेवारत अधिकारियों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे। अगर अनुभवी देशभक्त सैनिकों के मन की बात सुननी है तो रिटायर्ड सेना अधिकारियों को सुनना चाहिए जिसमें अधिकांश इसका खुलकर विरोध कर रहे हैं। कई पूर्व जनरल और परमवीर चक्र विजेता बाना सिंह और योगेन्द्र सिंह यादव जैसे शूरवीर कह रहे हैं कि यह खतरनाक योजना है।
माकन ने आगे कहा कि सरकार झूठा दावा कर रही है कि अग्निवीर योजना को युवाओं का समर्थन है, वो इसके लिए रजिस्ट्रेशन करवाने को तैयार बैठे हैं। जबकि सच्चाई इससे उलट है। मोदी सरकार में इस देश में बेरोजगारी की ऐसी हालत है की आप चार साल छोड़ो, चार महाने की नौकरा भी दोगे तो हर पोस्ट के लिए सकड़ों उम्मीदवार खड़े मिलेंगे। यहाँ चपरासी की नौकरा के लिए पीएचडी वाले अप्लाई करते हैं। इससे युवाओं की मजबूरी साबित होती है, योजना की मजबूती नहीं।