
ब्यूरो
ग्रामीणों को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया है : अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने गांवो के हालातों पर चिंता जताई। सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा सरकार व मुख्यमंत्री की अदूरदर्शिता और समय पर निर्णय लेने की अक्षमता के चलते प्रदेश में हाहाकार मचा हुआ है। लखनऊ और महानगरों में उसका सारा ध्यान है। फिर भी हालत बेकाबू हैं। ऐसे में गांवों के लाखों ग्रामीणों को उनके अपने भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया है। वहां की बदतर होती जिंदगी पर किसी का ध्यान नहीं गया।
पलायन के दौर में श्रमिकों को अमानवीय स्थितियों से गुजरना पड़ा
प्रदेश में एक लाख गांव हैं, जहां 70 प्रतिशत आबादी रहती है। 24 करोड़ की जनसंख्या वाला यह सबसे बड़ा राज्य है। वर्ष कोरोना संक्रमण में लॉकडाउन के दौरान पलायन की विकट स्थिति पैदा हुई। पलायन के दौर में श्रमिकों को अमानवीय स्थितियों से गुजरना पड़ा और कइयों की जानें भी चली गई। आज फिर बड़ी संख्या में लोग गांवों में लौट रहे हैं।
अखिलेश ने कहा कि -
जब गांवों में भीड़ बढ़ रही है, न तो वहां जांच और इलाज की व्यवस्था है और न ही रोटी-रोजगार की व्यवस्था है।
सरकारी केंद्र नहीं, बिचौलिए गेहूं खरीद रहे हैं
कोरोना संक्रमण के चलते कृषि कार्य भी बंद हैं। मुख्यमंत्री की बयानबाजी अपनी जगह पर वास्तविकता यह है कि गेहूं खरीद बंद है। किसान बेहाल हैं। क्रय केंद्र पर ताले लटके हुए हैं। सरकारी केंद्र नहीं, बिचौलिए गेहूं खरीद रहे हैं। वह भी औने पौने दामों पर। सरकार द्वारा गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1975 रुपये प्रति कुंतल रखा गया है लेकिन वह किसान को मिलता होता तो वह आंदोलन क्यों करता।
सरकार के बस का नही प्रबंधन और प्रशासन
भाजपा सरकार को सिर्फ चुनाव और सत्ता के खेल खेलना ही आता है। प्रबंधन और प्रशासन उसके बस का नहीं है। मुख्यमंत्री को अपनी अकर्णयता को स्वीकारते हुए हट जाना चाहिए। इससे रोज संक्रमण में जिंदगी हारते लोगों को राहत तो मिलती। चार वर्ष में ही प्रदेश का हाल बदहाल करने वाली भाजपा सरकार को सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रह गया है।